शबे बारात: अल्लाह की रहमतों और बरकतों वाली मुबारक रात

कालपी। इस्लामी कैलेंडर का आठवां महीना शाबान बहुत खास माना जाता है। इस महीने की 15वीं रात को शबे बारात कहा जाता है। यह रात इबादत, तौबा और बरकतों के लिहाज से बेहद अहमियत रखती है। इसे मुसलमानों के लिए गुनाहों की माफी मांगने और अल्लाह की रहमतें पाने का सुनहरा मौका बताया गया है। दारुल उलूम गौसिया मजिदिया के नाजिमे आला (प्रबंधक) हाफिज इरशाद अशरफी ने शबे बारात की फजीलत (महत्ता) के बारे में विस्तार से बताया।
गुनाहों की माफी और दुआओं की रात
हाफिज इरशाद अशरफी ने कहा, ‘‘हमारे पैगंबर ए आजम हुजूर नबी ए करीम ने फरमाया कि जब शाबान की पंद्रहवीं रात आए, तो इस मुबारक रात में जागकर इबादत करें। अपने गुनाहों से तौबा करें और अल्लाह से रोजी और बख्शिश मांगें। अल्लाह तआला इस रात अपने बंदों से मुखातिब होकर कहता है—क्या कोई तौबा करने वाला है कि मैं उसकी तौबा कुबूल करूं? क्या कोई मांगने वाला है कि मैं उसे रोजी अता करूं? क्या कोई बख्शिश मांगने वाला है कि मैं उसे बक्श दूं। यह पुकार सुबह तक जारी रहती है।’’
उन्होंने कहा कि यह रात बहुत मुकद्दस है, इसमें गफलत न करें, बल्कि पूरी रात इबादत में मशगूल रहकर अल्लाह को राजी करें। नफिल नमाज पढ़ें, तौबा करें और अपने गुनाहों की माफी मांगें।
दूसरों को तकलीफ न पहुंचाने की अपील
हाफिज इरशाद अशरफी ने लोगों से गुजारिश की कि इस रात में ऐसा कोई काम न करें जिससे किसी दूसरे इंसान को तकलीफ पहुंचे। खासकर नौजवानों से अपील की कि बाइक स्टंट करके अपनी जिंदगी से खिलवाड़ न करें। इस रात को इबादत और दुआओं में गुजारें, ताकि अल्लाह की रहमतों का हकदार बना जा सके।
शबे बारात की फजीलत और बरकतें
दारुल उलूम गौसिया मजिदिया के प्रिंसिपल मुफ्ती तारिक बरकाती ने शबे बारात की अहमियत पर रोशनी डालते हुए कहा कि इस मुबारक रात में बहुत सी फजीलतें लिखी गई हैं। जो इंसान दुनिया में आने वाला होता है या जो दुनिया से जाने वाला होता है, उसका नाम इसी रात लिखा जाता है।
उन्होंने कहा कि हमारे प्यारे नबी ने इस रात को जागकर इबादत करने की तालीम दी है। इस रात अपने मरहूमीन (दिवंगत) के लिए मगफिरत की दुआ करें और अपने रब को राजी करने की कोशिश करें।
13 फरवरी की रात जागें और 14 फरवरी को रखें रोजा
मुफ्ती तारिक बरकाती ने बताया कि शबे बारात की इबादत के बाद अगले दिन रोजा रखने का बड़ा सबाब (पुण्य) है। 13 फरवरी की रात को जागकर इबादत करें और 14 फरवरी को रोजा रखें। अल्लाह तआला इसे कबूल फरमाता है और अपने बंदों पर रहमतों की बारिश करता है।
नफिल नमाज और इबादत का तरीका
इस मुबारक रात में ज्यादा से ज्यादा नफिल नमाज पढ़ें। अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगे और तमाम मरहूमीन के लिए दुआ करें। यह रात अपने रब को राजी करने का बेहतरीन मौका है। इसे इबादत में बिताकर दुनिया और आखिरत (परलोक) की भलाई हासिल करें।
ब्यूरो रिपोर्ट डेस्क