कालपी में सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी, पालिका प्रशासन सख्त

कालपी। नगर में सरकारी संपत्तियों पर हो रहे अवैध कब्जों की शिकायतें अब लखनऊ तक पहुंचने के बाद नगर पालिका प्रशासन हरकत में आ गया है। शनिवार को पालिका अधिकारियों ने अवैध निर्माण और सर्विस लेन पर संचालित अवैध होटलों और दुकानों का निरीक्षण किया। प्रशासन ने इन कब्जों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
अवैध कब्जों की शिकायतें और निरीक्षण:
हिंदू संगठनों द्वारा लंबे समय से आरोप लगाए जा रहे थे कि वर्ग विशेष के लोग सरकारी जमीनों और संपत्तियों पर अवैध कब्जे कर रहे हैं। कई बार स्थानीय स्तर पर शिकायतें की गईं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अंततः मामला लखनऊ तक पहुंचा, जिसके बाद नगर पालिका प्रशासन ने गंभीरता दिखाई।
शनिवार को नगर पालिका परिषद के आरआई रामभवन सिंह और उनकी टीम ने रामचबूतरा तिकोनिया क्षेत्र में सड़क पर हुए अवैध निर्माण और हाईवे की सर्विस लेन पर संचालित मीट की अवैध दुकानों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि ये सभी कब्जे सरकारी जमीन पर किए गए हैं।
पालिका प्रशासन का रुख:
अधिशासी अधिकारी (ईओ) अवनीश कुमार शुक्ला ने बताया कि नगर में अतिक्रमण के खिलाफ जल्द ही एक बड़ा अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए अवैध कब्जेदारों की सूची तैयार की जा रही है।
ईओ ने कहा, “इन कब्जेदारों को जल्द ही नोटिस भेजा जाएगा। यदि निर्धारित समय सीमा के भीतर अतिक्रमण नहीं हटाया गया, तो नगर पालिका परिषद द्वारा स्वयं अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया जाएगा।”
सख्त कार्रवाई की तैयारी:
पालिका प्रशासन ने साफ किया है कि सरकारी संपत्तियों पर अवैध कब्जों को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सर्विस लेन पर संचालित अवैध मीट की दुकानों और होटलों को भी नोटिस जारी करने की तैयारी की जा रही है। यह अभियान नगर के अन्य हिस्सों में भी चलाया जाएगा।
हिंदू संगठनों की प्रतिक्रिया:
हिंदू संगठनों ने प्रशासन की इस कार्रवाई का स्वागत किया है। उनका कहना है कि यह कदम काफी पहले उठाया जाना चाहिए था। संगठनों ने उम्मीद जताई है कि प्रशासन इस बार अपने वादों को पूरा करेगा और नगर को अवैध कब्जों से मुक्त करेगा।
कालपी में सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों के खिलाफ प्रशासन की यह कार्रवाई एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि इस अभियान को प्रभावी ढंग से अंजाम दिया गया, तो यह न केवल नगर को अतिक्रमण से मुक्त करेगा, बल्कि भविष्य में सरकारी संपत्तियों की सुरक्षा के लिए एक मजबूत संदेश भी देगा।
रिपोर्ट : डेस्क