मोतियाबिंद ऑपरेशन में लापरवाही: गरीब ने गंवाई आंख, पांच महीने बाद भी दोषियों पर कार्रवाई नहीं

- जालौन : जनपद जालौन के कालपी से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां नारायण नेत्रालय, आलमपुर कालपी में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के दौरान लापरवाही के कारण नासिर, निवासी दमदमा कालपी, ने अपनी एक आंख की रोशनी हमेशा के लिए गंवा दी। नासिर गरीब तबके से है और इस हादसे के बाद उसकी और उसके परिवार की जिंदगी मुश्किलों से घिर गई है।
ऑपरेशन के बाद गई आंख की रोशनी
नासिर ने बताया कि उसने अपनी आंख में मोतियाबिंद के इलाज के लिए नारायण नेत्रालय का रुख किया। ऑपरेशन के बाद उसकी एक आंख की रोशनी पूरी तरह खत्म हो गई। नासिर ने तुरंत मामले की शिकायत स्थानीय अधिकारियों से की और संपूर्ण समाधान दिवस में एसीएमओ उरई को ज्ञापन भी सौंपा। अधिकारियों ने कार्रवाई का भरोसा दिया, लेकिन पांच महीने बाद भी दोषियों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया गया।
गरीबी में टूटा सहारा
नासिर अपने परिवार का इकलौता कमाने वाला था। उसकी दो बेटियां हैं, जिनकी शादी के लिए वह मेहनत करके पैसे जुटा रहा था। आंखों की रोशनी गंवाने के बाद नासिर अब किसी भी तरह का काम करने में असमर्थ है। परिवार की स्थिति बेहद दयनीय हो गई है।
डॉक्टरों पर झांसा देने का आरोप
नासिर का आरोप है कि जब वह अपनी शिकायत लेकर अधिकारियों के पास जा रहा था, तो नारायण नेत्रालय के एक डॉक्टर ने उसे बुलाया और उसे झूठे आश्वासन देकर उसके कुछ दस्तावेज छीन लिए। हालांकि, नासिर ने कुछ दस्तावेज बचा लिए हैं, जिनके आधार पर वह दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की उम्मीद लगाए हुए है।
प्रशासनिक उदासीनता
इस मामले में प्रशासन की उदासीनता ने गरीब और असहाय व्यक्तियों की मदद के सरकारी दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। नासिर ने संपूर्ण समाधान दिवस में अधिकारियों को शिकायत दर्ज कराई, लेकिन इसके बावजूद पांच महीने बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
जनता में रोष
लापरवाही और प्रशासन की चुप्पी के इस मामले ने क्षेत्र में गुस्सा पैदा कर दिया है। लोगों का कहना है कि गरीबों और असहाय व्यक्तियों के मामलों को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है।
- पीड़ित को न्याय की उम्मीद
नासिर और उसके परिवार ने प्रशासन से दोषी डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने अपील की है कि उनकी आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए उन्हें मुआवजा दिया जाए ताकि उनका जीवन सामान्य हो सके।
यह मामला न केवल चिकित्सा लापरवाही का है, बल्कि प्रशासनिक उदासीनता का भी बड़ा उदाहरण है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन गरीब नासिर को न्याय दिला पाता है या उसकी आवाज हमेशा के लिए दबा दी जाएगी।
रिपोर्ट: डेस्क