तहसील कालपी

कालपी में अधिवक्ताओं की हड़ताल जारी, अधिवक्ता संशोधन विधेयक रद्द करने की मांग

कालपी। बार काउंसिल के आह्वान पर मंगलवार को भी स्थानीय अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत रहे। अधिवक्ताओं ने न्याय विभाग द्वारा पारित अधिवक्ता संशोधन विधेयक को अस्वीकार्य बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की। उनका कहना है कि यह विधेयक अधिवक्ताओं के हितों के खिलाफ है और इससे उनके अधिकारों पर कुठाराघात होगा।

अधिवक्ताओं ने सरकार से की प्रमुख मांगें

अधिवक्ताओं ने विधेयक को रद्द करने के साथ ही “अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट” लागू करने की मांग की, जिससे उनके खिलाफ हो रहे उत्पीड़न की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके। इसके अलावा, उन्होंने सरकार से मांग की कि—

  1. अधिवक्ताओं को 10 लाख रुपये की बीमा सुरक्षा प्रदान की जाए, जिससे किसी आकस्मिक स्थिति में उनके परिवार को आर्थिक सहायता मिल सके।
  2. प्रदेश के सभी न्यायालय परिसरों में अधिवक्ताओं के बैठने के लिए चेंबर और पार्किंग की व्यवस्था की जाए।
  3. लोकसभा और विधानसभा में अधिवक्ताओं के लिए सीटें आरक्षित की जाएं, ताकि वे कानून निर्माण प्रक्रिया में भाग लेकर अपने हितों की रक्षा कर सकें।

अधिवक्ता समुदाय में आक्रोश, हड़ताल से न्यायिक कार्य प्रभावित

अधिवक्ताओं का कहना है कि वे कानून का पालन करने वाले समाज का महत्वपूर्ण अंग हैं, लेकिन बीते कुछ वर्षों में उनके साथ उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ी हैं। इन घटनाओं को रोकने और उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए।

बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ग्यादीन अहिरवार, अमर सिंह निषाद, मोहनलाल श्रीवास, पूर्व अध्यक्ष रामकुमार तिवारी, दीपचंद सैनी, इस्लाम अहमद, मनोज जाटव, राजेश गुप्ता, जयवीर सिंह, अपूर्व शरद श्रीवास्तव, देवेंद्र श्रीवास्तव, रविंद्र श्रीवास्तव सहित बड़ी संख्या में अधिवक्ता इस विरोध प्रदर्शन में शामिल रहे।

वादकारी हुए परेशान

अधिवक्ताओं की हड़ताल के कारण न्यायालय में न्यायिक कार्य बाधित रहा। कई वादकारी, जो अपने मामलों की सुनवाई के लिए अदालत पहुंचे थे, उन्हें निराश लौटना पड़ा। हड़ताल के चलते न्यायिक प्रक्रिया ठप रही और कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई आगे टल गई।

अधिवक्ताओं की चेतावनी

अधिवक्ताओं ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को जल्द नहीं माना गया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह हड़ताल सिर्फ एक शुरुआत है और यदि उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो वे बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

ब्यूरो रिपोर्ट डेस्क

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