कालपी में हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक मेले का भव्य आयोजन
पूर्व नगर पालिकाध्यक्ष कमर अहमद बने मुख्य अतिथि, भारी पुलिस बल रहा तैनात

कालपी (जालौन), कोतवाली क्षेत्र के मदारपुर में हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक मेले का भव्य आयोजन हुआ, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं और आगंतुकों की भीड़ उमड़ी। सुरक्षा की दृष्टि से चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात रहा। यह स्थान धार्मिक और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि यही वह स्थल है, जहां 5000 वर्ष पूर्व मां सरस्वती का जन्म हुआ था और महर्षि वेदव्यास ने तपस्या की थी।
मेले में पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष कमर अहमद, कारी शमसुद्दीन और ग्राम प्रधान पवन दीप निषाद मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। आगमन पर उनका भव्य स्वागत किया गया, जिसके बाद उन्होंने व्यास भगवान एवं मदार साहब के दर्शन किए।
मेले में रही खूब रौनक, श्रद्धालुओं ने की खरीदारी
मेले में महिलाओं ने जमकर खरीदारी की, वहीं युवाओं ने गुंबद में लगे त्रिशूल पर कोड़ी मारने की परंपरा निभाई। मान्यता है कि जिसकी कोड़ी त्रिशूल पर लग जाती है, उसकी मनोकामना पूर्ण होती है।
मदारपुर के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
मदारपुर, जो महेवा ब्लॉक के कीरतपुर मौजा में स्थित है, धार्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है। मान्यताओं के अनुसार, माघ मास की पंचमी तिथि को मां सरस्वती का जन्म यहीं हुआ था, जिसे बसंत पंचमी और ऋषि पंचमी के रूप में मनाया जाता है। तभी से इस तिथि पर मां सरस्वती की पूजा-अर्चना होती आ रही है।
पुराणों के अनुसार, जब ब्रह्मा जी ने संसार में विद्या की कमी देखी, तब उन्होंने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे एक दिव्य कन्या प्रकट हुई। इस देवी के एक हाथ में वीणा, दूसरे हाथ में पुस्तक, तीसरे हाथ में स्फटिक माला और चौथे हाथ में वर (अभय) मुद्रा थी। उनके वीणा वादन से संसार में आनंद और ज्ञान का संचार हुआ।
बसंत पंचमी का संबंध न केवल प्रकृति के उल्लास से है, बल्कि इसे ज्ञान और विद्या का पर्व भी माना जाता है। इस दिन महर्षि वेदव्यास की जन्मस्थली यमुना तट पर स्थित व्यास टीला, कालपी में भी विशाल मेले का आयोजन हुआ।
हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल बना मदारपुर मेला
इस मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु और अनुयायी पहुंचे, जिन्होंने मदार साहब के गुंबद पर इबादत की। माना जाता है कि मदार साहब हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों से प्रेम करते थे और सभी के कल्याण की कामना करते थे।
सुरक्षा व्यवस्था और प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति
भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। कालपी इंस्पेक्टर, क्राइम इंस्पेक्टर मो. अशरफ, एसएस हल्का इंचार्ज रामजीलाल समेत भारी पुलिस बल मेले में तैनात रहा।
आयोजन में शामिल प्रमुख लोग:
- आयोजक: पूर्व प्रधान छोटेलाल, कीरतपुर प्रधान पवन दीप निषाद, प्रधान प्रतिनिधि कुलदीप निषाद
- समर्थक: भांजा आदर्श बाबू, देवेंद्र उर्फ बबलू निषाद (दौलतपुर), शाहिद अहमद
इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने मदार साहब की दरगाह पर पहुंचकर इबादत की और शांति एवं भाईचारे की कामना की। हजरत मो. साहब के अनुयायियों का मानना है कि वे केवल अल्लाह की इबादत करते हैं और इंसानियत को सर्वोपरि मानते हैं।
उत्सव ने दिया गंगा-जमुनी तहजीब का संदेश
यह मेला धार्मिक सौहार्द और गंगा-जमुनी तहजीब की अनूठी मिसाल पेश करता है, जहां हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग मिलकर एकता, श्रद्धा और प्रेम का संदेश देते हैं। मेला उत्सव के दौरान पूरे क्षेत्र में उल्लास और भक्ति का माहौल बना रहा।
– ब्यूरो रिपोर्ट डेस्क