तहसील कालपी

कालपी के लक्ष्मीनारायण मंदिर बड़ी गद्दी: महामंडलेश्वर रामकरणदास महाराज के निर्देशन में संचालित होता है मंदिर प्रशासन

कालपी (जालौन)। ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण लक्ष्मीनारायण मंदिर बड़ा स्थान, कालपी न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि नागा वैष्णव साधुओं की प्रमुख गद्दी के रूप में भी प्रसिद्ध है। वर्तमान में इस प्रतिष्ठित गद्दी का संचालन महामंडलेश्वर रामकरणदास महाराज के निर्देशन में किया जा रहा है।


मंदिर प्रशासन के साथ अन्य धार्मिक स्थलों का भी संचालन

बड़ा स्थान गद्दी केवल लक्ष्मीनारायण मंदिर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इससे जुड़े अन्य धार्मिक स्थलों का संचालन भी महामंडलेश्वर के निर्देशन में होता है। इनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:

  • नरसिंह टीला मंदिर, मोहम्मदाबाद
  • रामजानकी मंदिर, साँझापुर
  • रामजानकी मंदिर, हैदलपुर
  • रामजानकी मंदिर, बड़ा गांव रिनिया

इन सभी मंदिरों के रखरखाव, पूजा-पद्धति और संतों की नियुक्ति का अधिकार बड़ी गद्दी के पास सुरक्षित रहता है।


महामंडलेश्वर की भूमिका: धार्मिक परंपराओं का पालन सुनिश्चित

महामंडलेश्वर रामकरणदास महाराज द्वारा मठ-मंदिरों की परंपराओं और धार्मिक अनुष्ठानों का पालन सुनिश्चित किया जाता है। वे सभी महत्वपूर्ण निर्णय बड़ी गद्दी के अधीन लेते हैं और मंदिरों में नियुक्त साधु-संतों के कार्यों की देखरेख भी करते हैं।


धार्मिक और सामाजिक प्रभाव

लक्ष्मीनारायण मंदिर बड़ा स्थान न केवल पूजा-अर्चना का स्थल है, बल्कि धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र भी है। यहां समय-समय पर कुंभ, वैष्णव संत दीक्षा, धार्मिक प्रवचन और अन्नक्षेत्र सेवा जैसी गतिविधियां आयोजित होती हैं, जिससे श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है।


वैष्णव संत परंपरा और साधु-संतों की नियुक्ति

बड़ा स्थान गद्दी की विशिष्ट परंपरा के अनुसार, वैष्णव संतों की दीक्षा और नियुक्ति का निर्णय बड़ी गद्दी द्वारा किया जाता है। यह प्रक्रिया प्राचीन वैष्णव अखाड़ा परंपरा के अनुसार संपन्न होती है, जिसमें योग्य संतों को उनकी सेवा भावना और योग्यता के आधार पर मंदिरों में नियुक्त किया जाता है।


महामंडलेश्वर रामकरणदास महाराज के नेतृत्व में सुचारू संचालन

वर्तमान समय में महामंडलेश्वर रामकरणदास महाराज के नेतृत्व में यह धार्मिक संस्थान संत परंपराओं को जीवित रखने और समाज को आध्यात्मिक मार्गदर्शन देने का कार्य कर रहा है। उनके निर्देशन में मंदिरों का संचालन सुचारू रूप से हो रहा है, जिससे श्रद्धालुओं और संत समाज का पूर्ण सहयोग प्राप्त हो रहा है।

परंपरा के अनुसार, संत समाज द्वारा चुना गया महंत ही बड़ी गद्दी का नेतृत्व करता है और उसे संत समाज द्वारा पूर्ण अधिकार प्रदान किए जाते हैं।

ब्यूरो रिपोर्ट डेस्क

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