तहसील कालपी

भगवान वेदव्यास नगरी कालपी धाम का महत्व हरिद्वार और वृन्दावन से कम नहीं – भगवताचार्य राम श्याम महाराज

महेवा में भागवत कथा के पांचवें दिन श्रोताओं ने किया दिव्य अमृत वाणी का रसपान

कालपी (जालौन)। भगवान वेदव्यास की पावन जन्मस्थली कालपी धाम का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व हरिद्वार और वृंदावन के समकक्ष है। यह उद्गार प्रसिद्ध भगवताचार्य राम श्याम महाराज ने शनिवार को महेवा में भागवत कथा के पांचवें दिन उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।


“यदि भगवान वेदव्यास न होते तो कौन जानता श्रीकृष्ण की लीलाएं” – राम श्याम महाराज

कालपीवासियों को बताया सौभाग्यशाली, कहा – यहां की मिट्टी भी पूजनीय है

कथा वाचक भगवताचार्य राम श्याम महाराज, जो स्वयं कालपी नगरी के निवासी हैं, ने कहा कि “हम धन्य हैं जो भगवान वेदव्यास की इस पवित्र भूमि में जन्मे हैं। यदि वेदव्यास जी न होते तो वेद, पुराण और भगवान की दिव्य लीलाओं का कोई प्रमाण नहीं होता। इसलिए कालपी नगरी का धार्मिक महत्व अत्यंत विशिष्ट है।”

उन्होंने आगे कहा कि “कालपी धाम में सूर्य मंदिर, पचपिंडा माता, वनखण्डी माता, पातालेश्वर, ढोडेश्वर, तिगड़ेश्वर, फालेश्वर, बिहारी जी मंदिर, गणेश मंदिर, पाहुलाल देवालय और लक्ष्मी नारायण मंदिर जैसे पवित्र स्थल आज भी सनातन संस्कृति की पताका फहरा रहे हैं।”


कथा में उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब, कई गणमान्य अतिथियों का हुआ सम्मान

कथा आयोजन के दौरान विधायक विनोद चतुर्वेदी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री भानु प्रताप वर्मा, मनोज चतुर्वेदी, शशि कान्त सिंह चौहान सहित क्षेत्र के कई प्रमुख गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। आये हुए अतिथियों पूर्व विधायक डॉ. अरुण मैहरोत्रा, पूर्व विधायक संतराम सिंह सेंगर, कैलाश स्वागत बाजपेई, राजू पाठक, नबाब सिंह जादौन, कन्हैया मिश्रा, राज बहादुर, जगदीश तिवारी, बाबा बालकदास आदि को भगवताचार्य और अतुल सिंह चौहान द्वारा अंगवस्त्र और माला पहनाकर सम्मानित किया गया।


पैतृक ग्राम महेवा में चल रही कथा में हर दिन बढ़ रहा है श्रद्धा और उत्साह

वरिष्ठ भाजपा नेता पृथ्वीराज सिंह चौहान और सभासद अतुल सिंह चौहान ने किया आयोजन

कथा का आयोजन वरिष्ठ भाजपा नेता पृथ्वीराज सिंह चौहान एवं सभासद अतुल सिंह चौहान के पैतृक ग्राम महेवा में किया जा रहा है। प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होकर भगवान की लीलाओं का रसपान कर रहे हैं। वातावरण भक्ति, भजन और आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर हो गया।


ब्यूरो रिपोर्ट डेस्क

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