तहसील कालपी

खनिज का अवैध परिवहन रोकना प्रशासन के लिए चुनौती, लोकेशन और एंट्री का खेल पड़ रहा भारी

छापेमारी अभियान में मात्र दो ट्रक पकड़ सकी प्रशासनिक टीम

कालपी (जालौन)। जिले में खनिज के अवैध परिवहन को रोकना प्रशासन के लिए कठिन चुनौती बनता जा रहा है। प्रशासनिक अधिकारी लगातार छापेमारी कर रहे हैं, लेकिन वालू माफियाओं का संगठित नेटवर्क उनकी मेहनत पर पानी फेर रहा है। गुरुवार रात उपजिलाधिकारी सुशील कुमार सिंह, सीओ अवधेश कुमार सिंह तथा खनिज एवं परिवहन विभाग की संयुक्त टीम ने काशीरामपुर तिराहे पर अचानक चेकिंग अभियान चलाया, लेकिन उन्हें अपेक्षित सफलता नहीं मिली। इस दौरान केवल दो ट्रकों को जब्त किया जा सका, जबकि एक ट्रक प्रशासन को चकमा देकर भागने में सफल रहा। अधिकारियों के जाते ही हाईवे पर अवैध वालू से भरे ट्रकों का रेला निकल पड़ा, जिससे पुराने यमुना पुल पर जाम की स्थिति उत्पन्न हो गई और सुबह कानपुर जाने वाले यात्रियों को भारी परेशानी उठानी पड़ी।


बेतवा नदी से हो रहा हजारों ट्रकों का अवैध परिवहन

कदौरा ब्लॉक और हमीरपुर सीमा के बीच बहने वाली बेतवा नदी में बड़ी संख्या में वालू घाट संचालित हैं, जहां से प्रतिदिन हजारों ट्रक वालू भरकर अलग-अलग मार्गों से हाईवे तक पहुंचते हैं। इनमें से अधिकांश ट्रक बिना खनिज प्रपत्रों के होते हैं और मानकों से कई गुना अधिक बालू लादे रहते हैं। प्रशासन को इस अवैध कारोबार की पूरी जानकारी है, जिसके चलते जिलाधिकारी ने परिवहन और खनिज विभाग के अधिकारियों को इस पर नजर रखने और कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद, प्रशासन की छापेमारी को माफियाओं द्वारा संचालित लोकेशन नेटवर्क लगातार विफल कर रहा है।


लोकेशन का खेल प्रशासन की मेहनत पर पड़ रहा भारी

वालू माफियाओं ने प्रशासन से बचने के लिए संगठित लोकेशन नेटवर्क तैयार किया है। जानकारों के अनुसार, कालपी से कदौरा तक लगभग दो दर्जन युवक प्रशासन की हर गतिविधि पर नजर रखते हैं और ट्रक चालकों को मौके की जानकारी तुरंत भेज देते हैं। जैसे ही छापेमारी अभियान शुरू होता है, सूचना तंत्र सक्रिय हो जाता है और ट्रकों को वैकल्पिक रास्तों से निकाल दिया जाता है। यही वजह है कि प्रशासन द्वारा बार-बार कार्रवाई किए जाने के बावजूद अवैध कारोबार पर लगाम नहीं लग पा रही है


एंट्री का कारोबार भी प्रशासनिक कार्रवाई में बाधक

अवैध खनिज परिवहन का यह खेल सिर्फ लोकेशन नेटवर्क तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक समानांतर व्यवस्था भी काम कर रही है, जिसे “एंट्री कारोबार” कहा जाता है। इस व्यवस्था के तहत, कुछ स्थानीय एजेंट प्रशासन और ट्रक संचालकों के बीच कड़ी का काम करते हैं। हालांकि, इस कारोबार का कोई लिखित रिकॉर्ड नहीं होता, लेकिन यह व्यवस्था वर्षों से गोपनीय रूप से संचालित हो रही है। इस नेटवर्क के तार सिर्फ इस जिले तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अन्य जिलों और राज्यों तक फैले हुए हैं

सूत्रों की मानें तो प्रशासन की निगरानी टीम की मौजूदगी की सूचना पहले ही इन एजेंटों द्वारा ट्रक मालिकों तक पहुंचा दी जाती है, जिससे वे सतर्क हो जाते हैं और किसी न किसी तरीके से बच निकलते हैं। यही कारण है कि प्रशासन को अब तक बड़ी सफलता नहीं मिल पाई है


खनिज विभाग ने दर्ज कराई थी लोकेशन माफियाओं पर एफआईआर

खनिज विभाग ने एक महीने पहले लोकेशन माफियाओं के खिलाफ मामला दर्ज कराते हुए कुछ युवकों को गिरफ्तार किया था। इस कार्रवाई से यह उम्मीद जगी थी कि अब अवैध परिवहन में कमी आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब भी, हाईवे पर अवैध रूप से ओवरलोड ट्रकों की लंबी कतारें आसानी से देखी जा सकती हैं। प्रशासन की कठोर कार्रवाई के बावजूद यह खेल बेखौफ जारी है


प्रशासन की कोशिशें जारी, लेकिन परिणाम नहीं मिल रहे

खनिज माफियाओं के इस संगठित नेटवर्क के खिलाफ प्रशासन लगातार अभियान चला रहा है। गुरुवार रात की छापेमारी इसका एक उदाहरण है, लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिलने से सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या प्रशासन माफियाओं पर पूरी तरह नकेल कस पाएगा?

अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस अवैध कारोबार को रोकने के लिए नई रणनीति अपनाता है या नहीं। फिलहाल, लोकेशन और एंट्री का यह खेल प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है।

ब्यूरो रिपोर्ट डेस्क

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