कालपी: लोकेशन माफियाओं के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई महज औपचारिकता, हाईवे पर फिर शुरू हुआ अवैध बालू परिवहन

कालपी, जालौन। क्षेत्र में बालू के अवैध परिवहन को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई महज औपचारिकता साबित हो रही है। कुछ दिनों की सख्ती और छापेमारी के बाद अब फिर से हाईवे पर बालू से लदे ओवरलोड ट्रकों की आवाजाही देखी जा सकती है। प्रशासन ने बीते दिनों लोकेशन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई कर कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया था, लेकिन यह अभियान ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाया। अब फिर से हाईवे पर वही पुरानी तस्वीर लौट आई है— ओवरलोड ट्रकों के काफिले और उनकी निगरानी करते लग्जरी वाहनों में सवार माफिया।
छापेमारी के बावजूद हाईवे पर फिर लौटे ओवरलोड ट्रक
क्षेत्र में बालू का अवैध परिवहन कोई नई बात नहीं है। यह खेल वर्षों से बेरोकटोक जारी है। हालांकि, प्रशासन ने इसे रोकने के लिए समय-समय पर आकस्मिक छापेमारी की है। इसी क्रम में, चालू बालू सत्र में अब तक करीब 400 ट्रकों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है, जिससे शासन को करोड़ों रुपये के राजस्व के रूप में जुर्माना भी मिला है।
इसके बावजूद हाईवे की तस्वीर नहीं बदली। अधिकारियों की मानें तो इसके पीछे सबसे बड़ी भूमिका लोकेशन माफियाओं की है, जो अवैध बालू परिवहन के इस खेल को संचालित करते हैं। प्रशासन ने 31 जनवरी को इस नेटवर्क को तोड़ने के लिए एक बड़ी कार्रवाई की थी, जिसमें उपजिलाधिकारी सुशील कुमार सिंह, सीओ अवधेश कुमार सिंह चौहान और खनिज विभाग के अधिकारियों ने मिलकर कुछ लोकेशन कारोबारियों को गिरफ्तार किया था।
इसके अलावा, खनिज लिपिक दीपक कुमार की शिकायत पर कोतवाली में आधा दर्जन नामजद लोगों और 21 वाहन मालिकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इस कार्रवाई में 4 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था, जिसके बाद कुछ दिनों तक बालू माफियाओं का नेटवर्क ठप पड़ गया था। लेकिन अब फिर से वही स्थिति बन गई है।
लग्जरी गाड़ियों में बैठे लोकेशन माफिया कर रहे निगरानी
हाल के दिनों में हाईवे पर रात से लेकर सुबह तक ओवरलोड ट्रकों की आवाजाही बढ़ गई है। इनमें से कई ट्रक बालू और गिट्टी से भरे होते हैं, जो प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर बेधड़क गुजर रहे हैं। इनके आगे-पीछे लग्जरी वाहनों में सवार लोकेशन माफिया चलते हैं, जो अधिकारियों की मूवमेंट पर निगरानी रखते हैं। जैसे ही कोई प्रशासनिक कार्रवाई की भनक लगती है, वे तुरंत सूचना देकर ट्रकों को बचा लेते हैं।
प्रशासन की साख पर उठ रहे सवाल
जब लोकेशन माफियाओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था, तब कुछ समय के लिए हाईवे पर सन्नाटा पसरा रहा। लेकिन धीरे-धीरे फिर से ओवरलोड ट्रकों का काफिला हाईवे पर दौड़ने लगा। इससे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। आखिर क्यों कुछ दिनों की सख्ती के बाद यह अवैध कारोबार फिर शुरू हो जाता है? क्या इसमें प्रशासन की मिलीभगत है या फिर माफियाओं का नेटवर्क इतना मजबूत है कि वह कानून से भी ऊपर हो गया है?
बचने के लिए अपनाए नए हथकंडे
प्रशासन की नजरों से बचने के लिए अब लोकेशन माफियाओं ने नई रणनीति अपनाई है। जानकारों के मुताबिक, अब वे उन वाहनों का उपयोग नहीं कर रहे हैं, जिन्हें प्रशासन ने पहले चिन्हित कर लिया था। इसके बजाय, नई गाड़ियों और अन्य नंबरों वाले ट्रकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। यही वजह है कि प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद बालू का अवैध परिवहन जारी है।
प्रशासन की चुनौती – कैसे रुकेगा अवैध बालू परिवहन?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस अवैध कारोबार पर पूरी तरह से लगाम लगा पाएगा? या फिर यह कार्रवाई भी कुछ दिनों बाद ठंडे बस्ते में चली जाएगी? अवैध बालू खनन और परिवहन से सिर्फ सरकार को ही नहीं, बल्कि आम जनता को भी नुकसान हो रहा है। ओवरलोड ट्रकों की वजह से सड़कें क्षतिग्रस्त हो रही हैं, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना भी बढ़ रही है।
प्रशासन को इस बार स्थायी समाधान निकालने की जरूरत है, ताकि यह अवैध कारोबार जड़ से खत्म हो सके। वरना, हर बार की तरह कुछ दिनों की छापेमारी और गिरफ्तारी के बाद माफिया फिर से अपने खेल में लौट आएंगे।
ब्यूरो रिपोर्ट डेस्क