धार्मिक मुद्दों पर धरना देने की जिद पर अड़े हिंदू संगठन के नेता नजरबंद
प्रशासन की सख्ती के चलते टला प्रदर्शन, दोपहर बाद पुलिस ने किया रिहा

कालपी (जालौन)। हिंदू संगठनों द्वारा धार्मिक मुद्दों को लेकर 30 जनवरी को प्रस्तावित धरना प्रदर्शन प्रशासन की सख्ती के चलते स्थगित हो गया। पुलिस ने हिंदू जागरण मंच के प्रांतीय पदाधिकारी नीलाभ शुक्ला और अधिवक्ता दीपचंद्र सैनी को सुबह ही नजरबंद कर लिया। इसके चलते तहसील परिसर में प्रस्तावित धरना नहीं हो सका। हालांकि, दोपहर बाद पुलिस ने दोनों को रिहा कर दिया।
सुभान गुंडा हवेली मस्जिद और वक्फ संपत्तियों पर उठाए सवाल
धरना प्रदर्शन की घोषणा हिंदू जागरण मंच की ओर से की गई थी। संगठन के नेताओं ने आरोप लगाया था कि नगर की ऐतिहासिक सुभान गुंडा हवेली को गलत तरीके से वक्फ संपत्ति घोषित किया गया है। इसके अलावा अन्य कई धार्मिक स्थलों को वक्फ संपत्ति में दर्ज करने पर भी आपत्ति जताई गई थी।
हिंदू संगठनों ने इन मामलों की जांच कराने और विवादित संपत्तियों की सार्वजनिक समीक्षा की मांग की थी। इसे लेकर हिंदू जागरण मंच के नेता नीलाभ शुक्ला ने 30 जनवरी को तहसील परिसर में धरना देने की घोषणा की थी।
धरना प्रदर्शन को लेकर हिंदू संगठनों की मांगें
यह धरना प्रदर्शन सर्व हिंदू समाज के आह्वान पर आयोजित किया जाना था, जिसमें विभिन्न संगठनों, व्यापारियों, अधिवक्ताओं, शिक्षकों, चिकित्सकों, किसानों, और राजनेताओं से शामिल होने की अपील की गई थी। इस प्रदर्शन का उद्देश्य कालपी की ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहरों की रक्षा के लिए प्रशासन का ध्यान आकर्षित करना था। हिंदूवादी नेताओं ने अपनी मांगों को स्पष्ट रूप से प्रशासन के सामने रखा था, जो इस प्रकार थीं—
1. सुभान गुंडा की हवेली में नमाज पर रोक— यह हवेली रानी लक्ष्मीबाई के किले के ध्वंसावशेष में स्थित है, जिसे हिंदू संगठन ऐतिहासिक विरासत मानते हैं और वहां नमाज पढ़े जाने पर आपत्ति जता रहे हैं।
2. टकसाल की जमीन पर कथित कब्जे को लेकर कार्रवाई— हिंदू संगठनों का आरोप है कि ऐतिहासिक टकसाल परिसर पर एक समुदाय विशेष के लोग कब्जा करने का प्रयास कर रहे हैं।
3. वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की सार्वजनिक जांच— नगर पालिका परिषद कालपी और राजस्व अधिकारियों की मौजूदगी में सभी वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का सर्वे कर उनके अभिलेखों की सार्वजनिक जांच की मांग की गई थी।
4. प्राचीन ऐतिहासिक मार्ग का अतिक्रमण हटाने की मांग— मुन्ना फुलपावर से किलाघाट तक के मार्ग से अतिक्रमण हटाकर धार्मिक जुलूसों के लिए इसे सुचारु रूप से खोले जाने की मांग की गई।
5. ओवर ब्रिज के पास स्थित मांसाहारी होटलों को हटाने की मांग— ओवर ब्रिज के दोनों ओर स्थित मीट की दुकानों को हटाने की अपील की गई थी।
6. अवैध निर्माणों पर कार्रवाई— सर्विस लेन के किनारे नाले पर बने अवैध निर्माणों को हटाने और उन पर प्रशासनिक कार्रवाई करने की मांग की गई थी।
7. शहर के कुओं और तालाबों का सर्वेक्षण— नगर के अंदर मौजूद सभी कुओं और तालाबों पर हुए अतिक्रमण की जांच कर उसे हटाने का आग्रह किया गया था।
प्रशासन ने जताई थी साम्प्रदायिक तनाव की आशंका
प्रशासन को आशंका थी कि इस धरने से नगर का साम्प्रदायिक माहौल खराब हो सकता है। इसी को देखते हुए अधिकारियों ने हिंदूवादी नेताओं से कई दौर की बातचीत कर प्रदर्शन न करने की अपील की थी।
बुधवार को जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडेय और पुलिस अधीक्षक डॉ. दुर्गेश कुमार ने स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक कर स्पष्ट कर दिया था कि यह धरना प्रदर्शन किसी भी हालत में नहीं होने दिया जाएगा।
सुबह होते ही नजरबंद किए गए हिंदूवादी नेता
प्रशासन के सख्त रुख को देखते हुए गुरुवार सुबह होते ही कोतवाली पुलिस ने नीलाभ शुक्ला और दीपचंद्र सैनी को हिरासत में लेकर कोतवाली में नजरबंद कर दिया।
दोपहर तक पुलिस हिरासत में रखने के बाद दोनों को रिहा कर दिया गया। इस कार्रवाई के चलते हिंदू संगठनों का धरना प्रदर्शन फिलहाल स्थगित हो गया है।
प्रशासन ने कहा—कानून व्यवस्था पहली प्राथमिकता
प्रशासन का कहना है कि धारा 144 लागू होने के चलते किसी भी प्रकार के सार्वजनिक प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जा सकती थी। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह कदम नगर की शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए उठाया गया।
हिंदू संगठनों में आक्रोश, आंदोलन जारी रखने की चेतावनी
इस कार्रवाई के बाद हिंदू संगठनों के समर्थकों में रोष देखा जा रहा है। संगठन के नेताओं ने कहा कि उनकी मांगें पूरी होने तक संघर्ष जारी रहेगा और आगामी दिनों में एक और बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन और हिंदू संगठनों के बीच इस मुद्दे पर आगे क्या रुख अपनाया जाता है।
ब्यूरो रिपोर्ट : डेस्क