तहसील कालपी

LUCC चिटफंड घोटाला: रकम दोगुनी करने का झांसा देकर गरीबों की कमाई लूटी, अब बचाव में जुटे एजेंट्स

एजेंट्स संगठनों की तलाश में, कभी भी हो सकता है बड़ा खुलासा

कालपी (जालौन): नगर की भोली-भाली जनता को महज कुछ वर्षों में रकम दोगुनी करने का लालच देकर फंसाने वाली चिटफंड कंपनी LUCC अचानक फरार हो गई है। कंपनी के भागते ही उन एजेंट्स की मुश्किलें बढ़ गई हैं, जिन्होंने नगर के गरीब मजदूरों, रेहड़ी-पटरी वालों, ऑटो-रिक्शा चालकों और कागज फैक्ट्री में काम करने वाली महिलाओं से मोटी रकम जमा करवाई थी। अब जब लोगों को ठगी का एहसास हो रहा है, तो एजेंट्स खुद को बचाने के लिए नगर के विभिन्न संगठनों की शरण में भटक रहे हैं।

गरीबों की मेहनत की कमाई पर ऐश कर रहे थे एजेंट्स

नगर में दर्जनों एजेंट्स ने मोटे कमीशन के लालच में गरीब मजदूरों और निम्न वर्ग के लोगों को चिटफंड कंपनी की लुभावनी योजनाओं में निवेश करने के लिए मजबूर किया। इन एजेंट्स ने लोगों को भरोसा दिलाया कि उनकी रकम कुछ ही वर्षों में दोगुनी हो जाएगी, और इसी झांसे में हजारों लोग फंस गए।

सूत्रों के मुताबिक, कई एजेंट्स ने इस धोखाधड़ी से लाखों रुपये की कमाई की और आलीशान गाड़ियों तक का सुख भोगा। कुछ एजेंट्स को तो कंपनी ने उपहार स्वरूप स्कॉर्पियो जैसी गाड़ियां तक दे दीं। लेकिन अब जब कंपनी फरार हो चुकी है, तो ये एजेंट्स अपने बचाव के लिए नगर के सामाजिक संगठनों का सहारा लेने की कोशिश कर रहे हैं।

ठगी का शिकार हुए लोग जल्द खटखटा सकते हैं कानून का दरवाजा

नगर में इस घोटाले को लेकर जोरदार चर्चा हो रही है। हर नुक्कड़ और चौराहे पर लोग इस घोटाले के बारे में बात कर रहे हैं। कई पीड़ितों ने संकेत दिए हैं कि वे कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी में हैं। यदि पीड़ितों ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई, तो LUCC चिटफंड घोटाले में शामिल एजेंट्स और अन्य लोगों पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है।

क्या थी LUCC चिटफंड कंपनी की चाल?

LUCC नामक इस फर्जी चिटफंड कंपनी ने नगर में अपनी पैरवी करने के लिए एजेंट्स की फौज खड़ी कर दी थी। इन एजेंट्स को मोटा कमीशन दिया जाता था, जिससे वे गरीबों को झांसे में लेने के लिए तैयार रहते थे। कंपनी ने यह प्रचार किया कि अगर कोई व्यक्ति 5,000 रुपये से 50,000 रुपये तक की रकम निवेश करता है, तो 3 से 5 साल में उसकी रकम दोगुनी हो जाएगी।

यही नहीं, कंपनी ने शुरुआत में कुछ निवेशकों को पैसे लौटाकर भरोसा भी जीत लिया, जिससे और लोग इसमें पैसा लगाने लगे। लेकिन जब बड़ी रकम जमा हो गई, तो कंपनी रातों-रात फरार हो गई।

नगर में दहशत, एजेंट्स की नींद उड़ी

अब जब इस घोटाले का पर्दाफाश हो चुका है, तो वही एजेंट्स, जो लोगों को पैसे जमा करने के लिए मजबूर कर रहे थे, अब अपने बचाव के रास्ते खोज रहे हैं। कई एजेंट्स नगर के राजनीतिक और सामाजिक संगठनों के दरवाजे खटखटा रहे हैं, ताकि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न हो।

हालांकि, पीड़ितों में जबरदस्त आक्रोश है और वे जल्द ही पुलिस और प्रशासन से न्याय की गुहार लगा सकते हैं। अगर यह मामला कानूनी दायरे में जाता है, तो LUCC घोटाले में शामिल सभी एजेंट्स की गिरफ्तारी हो सकती है।

प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल

इस पूरे मामले में प्रशासन की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है। सवाल यह उठ रहा है कि बिना किसी वैध लाइसेंस और सरकारी मंजूरी के इस चिटफंड कंपनी ने नगर में इतनी बड़ी ठगी कैसे कर ली? यदि समय रहते प्रशासन ने कार्रवाई की होती, तो गरीबों की मेहनत की कमाई बच सकती थी।

अब देखना यह है कि प्रशासन कब तक इस मामले पर संज्ञान लेता है और क्या पीड़ितों को न्याय मिल पाएगा या नहीं।

ब्यूरो रिपोर्ट : डेस्क

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