भूरागढ़ दुर्ग: 600 साल पुरानी प्रेम कहानी का साक्षी, मकर संक्रांति मेले में उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़

बुंदेलखंड के बांदा जिले में केन नदी के किनारे स्थित भूरागढ़ दुर्ग न केवल ऐतिहासिक धरोहर है, बल्कि यह एक 600 साल पुरानी प्रेम कहानी और बलिदान का प्रतीक भी है। यहां हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर हजारों श्रद्धालु और पर्यटक जुटते हैं। भूरागढ़ दुर्ग के नीचे स्थित नट महाबली का मंदिर, जो प्रेम और आस्था का केंद्र है, आज भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
प्रेम कहानी का इतिहास
भूरागढ़ दुर्ग के किलेदार नोने अर्जुन सिंह की बेटी का दिल किले में काम करने वाले नट बीरन पर आ गया था। दोनों का प्रेम उस समय की सामाजिक सीमाओं को चुनौती दे रहा था। जब राजकुमारी ने अपने पिता से नट बीरन से विवाह की इच्छा जाहिर की, तो किलेदार ने विवाह की अनुमति देने के लिए एक कठिन शर्त रख दी।
शर्त के अनुसार, बीरन को मकर संक्रांति के दिन बांबेश्वर पर्वत से भूरागढ़ दुर्ग तक कच्चे धागे की रस्सी पर चलते हुए आना था। अपने प्रेम को सिद्ध करने के लिए बीरन ने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया। बीरन रस्सी पर चलते हुए लगभग किले तक पहुंच गया, लेकिन किलेदार ने धोखे से रस्सी काट दी। बीरन चट्टानों पर गिरकर अपनी जान गंवा बैठा। यह दृश्य देखकर राजकुमारी ने भी किले से कूदकर अपनी जान दे दी।
प्रेमी युगल की समाधि और मंदिर
दोनों प्रेमी युगल की समाधि अब नट महाबली मंदिर में परिवर्तित हो चुकी है। यह मंदिर न केवल प्रेम का प्रतीक है, बल्कि श्रद्धालुओं की गहरी आस्था का केंद्र भी है। मान्यता है कि यहां पूजा करने से हर मन्नत पूरी होती है। इस स्थान पर प्रेम और बलिदान की गाथा आज भी जीवंत है।
मकर संक्रांति मेले की परंपरा
मकर संक्रांति के अवसर पर हर साल यहां विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। यह मेला स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूर-दराज के श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता है। मेले में धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ लोक नृत्य, गीत और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
भूरागढ़ दुर्ग का ऐतिहासिक महत्व
भूरागढ़ दुर्ग का निर्माण बुंदेला राजाओं ने अपनी सुरक्षा और प्रशासनिक कार्यों के लिए कराया था। यह दुर्ग स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है और बुंदेलखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करता है। दुर्ग से केन नदी का विहंगम दृश्य भी मनमोहक है।
स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का साधन
मकर संक्रांति का मेला स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का बड़ा माध्यम है। मेले में लगने वाले अस्थायी बाजार, खानपान स्टॉल और हस्तशिल्प की दुकानें ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करती हैं।
भूरागढ़ दुर्ग: प्रेम और आस्था का प्रतीक
भूरागढ़ दुर्ग न केवल इतिहास की कहानियों का गवाह है, बल्कि यह प्रेम, आस्था और बलिदान की एक अमर मिसाल है। यहां आने वाले श्रद्धालु न केवल अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की कामना करते हैं, बल्कि इतिहास और प्रेम की इस अनोखी गाथा को भी महसूस करते हैं। भूरागढ़ दुर्ग और नट महाबली मंदिर की कहानी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा और आस्था का प्रतीक बनी रहेगी।
रिपोर्ट : डेस्क